इस आर्टिकल में आप बौद्ध एवं जैन धर्म के महत्वपूर्ण तथ्य (Important facts of Baudhh and Jain dharma) के बारे में पढ़ेंगे । यह जानकारी संक्षेप में दी गई है , जिसका आप पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं। ये जानकारी प्रतियोगी परीक्षाओं के इतिहास सेक्शन में आपकी सहायता करेेगी इसलिए इसे अच्छे से पढ़ें और पीडीएफ डाउनलोड करके इसका रिवीजन करें।
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बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध ने की। इस धर्म का विकास लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ। महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंधित कुछ तथ्य निम्नलिखित हैं-
महात्मा गौतम बुद्ध (महत्वपूर्ण तथ्य)
⇒ जन्म वर्ष |
563 ई. पू. |
⇒ जन्म स्थान |
कपिलवस्तु के लुंबिनी में |
⇒ गौतम बुद्ध के बचपन का नाम |
सिद्धार्थ |
⇒ माता का नाम |
महामाया |
⇒ पिता का नाम |
शुद्धोधन |
⇒ पत्नी का नाम |
यशोधरा |
⇒ पुत्र का नाम |
राहुल |
⇒ ग्रहत्याग (महाभिनिष्क्रमण) के समय आयु |
29 वर्ष |
⇒ ज्ञान प्राप्ति के समय आयु |
35 वर्ष |
⇒ प्रथम उपदेश (धर्मचक्रप्रवर्तन) |
सारनाथ में |
⇒ प्रमुख अनुयायी शासक |
अजातशत्रु, प्रसेनजित, बिम्बिसार |
⇒ महापरिनिर्वाण के समय आयु तथा स्थान |
आयु- 80 वर्ष(483 ई.पू.), स्थान- कुशीनारा |
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बौद्ध दर्शन, सिद्धांत एवं बौद्ध संघ
- बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है।
- इसमें आत्मा की परिकल्पना नहीं है।
- यह अनीश्वरवादी है।
- भिक्षुओं के संघ में प्रवेश को ‘उपसंपदा‘ कहा जाता था।
- कालांतर में बौद्ध संप्रदाय हीनयान और महायान में विभाजित हुआ।
- बौद्ध धर्म के त्रिरत्न ‘बुद्ध,धम्म और संघ‘ हैं।
- बौद्ध धर्म के बारे ज्यादा जानकारी हमें त्रिपिटक से प्राप्त होती हैं। और ये त्रिपिटक- विनयपिटक, सूत्रपिटक तथा अभिधम्भपिटक हैं।
बौद्ध संगीतियां/सभाएं
संगीति |
समय |
स्थान |
शासक |
अध्यक्ष |
प्रथम बौद्ध संगीति |
483 ई.पू. |
राजगृह |
अजातशत्रु |
महाकश्यप |
द्वितीय बौद्ध संगीति |
383 ई.पू. |
वैशाली |
कालाशोक |
सर्बकामिनी |
तृतीय बौद्ध संगीति |
250 ई.पू. |
पाटलिपुत्र |
अशोक |
मोग्गलिपुत्र तिस्स |
चतुर्थ बौद्ध संगीति |
प्रथम सदी ई. |
कुण्डलवन (कश्मीर) |
कनिष्क |
वसुमित्र/अश्वघोष |
जैन धर्म
जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव थे एवं जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक महावीर स्वामी थे। जैन तीर्थकंरों की जीवनी कल्पसूत्र (भद्रबाहु द्वारा रचित) में है। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी (24 वें) थे। जैन धर्म के प्रमुख तीर्थंकर और उनके प्रतीक चिन्ह निम्नलिखित हैं-
जैन धर्म के प्रमुख तीर्थंकर और उनके प्रतीक चिन्ह |
||
प्रमुख तीर्थंकर के क्रम |
नाम |
प्रतीक चिन्ह |
प्रथम |
ऋषभदेव |
सांड |
द्वितीय |
अजितनाथ |
हाथी |
तृतीय |
संभव |
घोड़ा |
सप्तम |
संपार्श्व |
स्वास्तिक |
सोलहवें |
शांति |
हिरण |
इक्कीसवें |
नामि |
नीलकमल |
बाइसवें |
अरिष्टनेमि |
शंख |
तेइसवें |
पार्श्व |
सर्प |
चौबीसवें |
महावीर स्वामी |
सिंह |
जैन दर्शन, सिद्धांत एवं संघ
- जैन धर्म में त्रिरत्न दर्शन की मान्यता है, ये त्रिरत्न हैं- सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान एवं सम्यक आचरण।
- जैन धर्म में आत्मा की मान्यता है।
- इसमें ईश्वर की मान्यता नहीं है।
- जैन धर्म पुनर्जन्म में विश्वास रखता है।
- जैन धर्म में स्यादवाद का दर्शन है जिसे अनेकांतवाद भी कहा जाता है।
- जैन धर्म दो भागों में विभाजित हुआ जिसमें भद्रबाहु के शिष्यों को दिगम्बर एवं स्थूलभद्र के शिष्यों को श्वेतांबर कहा गया।
जैन संगीतियां/सभाएं
संगीति |
वर्ष |
स्थल |
अध्यक्ष |
प्रथम |
300 ई.पू. |
पाटलिपुत्र |
स्थूलभद्र |
द्वितीय |
छठी शताब्दी |
वल्लभी (गुजरात) |
क्षमाश्रवण |
⇒ बौद्ध एवं जैन धर्म के महत्वपूर्ण तथ्य की पीडीएफ | Download |
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